यादों के सहारे

घर के किसी कोने में कुर्सी में बैठे हुए , ‘बूढ़े’ अख़बार, चेहरे के सामने खोले हुए पढ़ने के लिए नहीं  सिर्फ , चेहरा ढ़ाँकने के लिए, लिए हुए देह में, अनुभव के निशान और वे जी रहे होते अपनी यादों के सहारे 22.05.2010  यही तारीख़ दर्ज है मेरी डायरी के पन्ने में जब यह … Continue reading यादों के सहारे