कभी कभी लगता है की बर्थ डे में ऐसा क्या ख़ास होता है जो इसे हर साल मनाया जाए। क्या बर्थ डे एक दोहराव भर नहीं है उमर में एक अंक जोड़ने का, जिसे हम हर साल एक निश्चित दिन करते रहे हैं। ऐसा ख़्याल किसी एक बर्थ डे में होता है तो किसी औरContinue reading “बर्थडे”
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वजह और बहाना
फ़ोकस
जिंदगी में कितना फोकस चाहिए होता है। हर कोई आपसे फ़ोकस पर बात कर सकता है। लेक्चर दे सकता है। आपको तरह-तरह के योग, प्राणायाम बताएगा। इस चक्कर में कितना तंग हो जाता है आदमी। चश्मा उतार कर रख देता हूं मैं। अब कुछ धुंधलापन है सामने। सब दिख रहा है, पहचान भी आ रहाContinue reading “फ़ोकस”
अदीब
*अदीब – writer *तसव्वुर – imagination
ख़ेद
बरसात और तुम
तुम हो या ना हो ये बरसात मुझे तेरी ही याद दिलाती है खोल लेता हूँ अपनी बाँहे और बंद करके आँखे अपनी तुझे महसूस करता हूँ गीले हो चिपक जाते हैं कपड़े बदन से जैसे थाम लिया हो तुमने मुझे बस यही होता है हर बरसात मुझसे इंतज़ार रहता है अगली बरसात का
यादों के सहारे
घर के किसी कोने में कुर्सी में बैठे हुए , ‘बूढ़े’ अख़बार, चेहरे के सामने खोले हुए पढ़ने के लिए नहीं सिर्फ , चेहरा ढ़ाँकने के लिए, लिए हुए देह में, अनुभव के निशान और वे जी रहे होते अपनी यादों के सहारे 22.05.2010 यही तारीख़ दर्ज है मेरी डायरी के पन्ने में जब यहContinue reading “यादों के सहारे”